जानिए सच्चे प्यार की पहचान कैसे करे।

अक्सर लोगो को प्यार और अपने रिलेक्शनशिप में बड़ा असंसजस्य होता हे, और प्यार का मतलब जानना चाहते हे तो आप सही जानकारी पढ़ रहें हे। नमस्ते दोस्तों आज हम एक इंटरेस्टिंग टॉपिक पर लेख लेकर आये हे वो हे सच्चे प्यार की पहचान कैसे होती हे। दोनों में अंतर कर पाना मुश्किल होता हे। सच्चा प्यार क्या होता हे, और केवल एक रिश्ता जो कि किसी बुनियाद या शर्त या विश्वास पर टिका हो दोनों में अंतर होता हे। – सच्चे प्यार की पहचान कैसे करें

जैसा की कहा जाता हे, प्यार किया नहीं जाता हो जाता हे। ऐसा भी कहा जाता हे की प्यार की शुरुआत आँखों से शुरू होती हे, और दिल तक पहुँचती हे। लेकिन आज कल फोन पर बाते करते करते भी प्यार हो जाता हे। जैसा की आजकल का प्यार होता हे, पहले फ़ोन पर बात फिर मुलाकात , तो ऐसा नहीं हे की प्यार आँखों से होता हे। – सच्चे प्यार की पहचान कैसे करें

सच्चे प्यार की पहचान कैसे करें

कुछ देर की अटेचमेंट या नजदीकी  प्यार नहीं होता हे, यह अट्रेक्शन भी हो सकता हे। तो फिर प्यार की परिभाषा क्या है, यह जानना बहुत जरुरी हो जाता हे। क्योकि प्यार क्या होता हे, यह जानने के लिए ही तो आप यह लेख पड़ रहे हे, तो सबसे पहले जानते हे की  होता कैसे हे।

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पहला प्यार कैसे होता है 

प्यार कैसे होता है

जब कोई खास कर युवा उम्र के लड़का या लड़की एक दूसरे से प्रभावित होते हे, तो एक दूसरे के करीब आने की कोशिश करते हे। ऐसा नेचरल होता हे क्योकि विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण स्वभाविक हे। जब किसी को किसी से प्यार होता हे तो कुछ लक्षण दिखाई देते हे, जैसे की भूख न लगना, किसी काम में मन न लगना, नींद न आना, खोये खोये से रहना तो ऐसे में आपको प्यार हो सकता हे।

लेकिन युवा उम्र में किसी के प्रति आकर्षण भी हो सकता हे जिसे हम भूल से प्यार समझ लेते हे, लेकिन प्यार की शुरुआत भी इसी प्रकार के आकर्षण से होती हे। जब आपको किसी से मिलने और उस अपना बनाने की जिद और तड़प महसूस होने लगे तब  सकता हे की आप किसी के प्यार में हो। – सच्चे प्यार की पहचान कैसे करें

कोई अनजान सा व्यक्ति लड़का हो या लड़की आपको बहुत पसंद आने लगे आपको उसकी हर बात पसंद हो हर वक़्त उसी उसी के बारे में सोचते रहे , साये की तरह उसे पास पास रहे हर दम उस के नजदीक रहने की कोशिश करे तो समझ ले की यह प्यार की शुरुआत हे। लेकिन यह सिर्फ प्यार की शुरुआत हे – सच्चे प्यार की पहचान कैसे करें

प्यार की परिभाषा जानिए

इस दुनिया में प्यार की परिभाषा हर व्यक्ति हर इंसान के लिए अलग अलग हे , लेकिन जो मेने महसूस किया हे वो में आपको इस लेख में बताने वाला हूँ। प्यार की कोई श्रेणी नहीं होती हे सभी प्यार एक ही होते हे चाहे बहिन भाई का प्यार हो , पति पत्नी का प्यार हो , माता पिता से आपको प्यार हो या भाई भाई का प्यार हो या फिर किसी पालतू जानवर से जुड़ा प्यार हो सभी प्यार एक ही होते हे।

बस हर प्यार को महसूस करने का अपना अपना नजरिया होता हे ओर वो नजरिया हमने बना लिया हे । यदि आपको कभी किसी से प्यार हुआ हे तो क्या आप आज भी उससे उतना ही प्यार करते हे अगर नहीं तो आप कैसे कह सकते हे की आपको उसे से प्यार था क्योकि प्यार तो कभी खत्म नहीं होता हे । हो सकता हे उस समये आप उसे से किसी ने किसी आकर्षण या परिस्थिति वश बंधे हो । –

आप मे से किसे अभी अभी प्यार हुआ हे , एसे मे आपके लिए यह समझना मुश्किल हे की आपको उस से सच्चा प्यार हे, या सिर्फ कुछ दिनो के लिए आप दोनों एक रिश्ते मे हो । यदि सच्चे प्यार को समझना हे, तो अपने अंदर यह सोच पेड़ा करो की किसे तुमसे क्या चाहिए, ओर तूमे किसे से क्या लेना हे। क्योकि सच्चे प्यार मे किसी से कुछ लेने की अपेक्षा नहीं होती हे।

सच्चा प्यार कैसा होता है

प्यार मे कसी से कुछ लेने की इच्छा रखने पर वह प्यार सच्चा नहीं होता हे । सच्चे प्यार मे दो नो एक दूसरे से एसे रिश्ते से बंधे होते हे जिसमे कसी से कुछ पाने की इच्छा नहीं होती हे ओर न ही कोई मजबूत आधार होता हे की हम एक दूसरे से क्यो जुड़े हे । कभी कभी आप किसी से प्यार करते हे ओर वो इंसान आप से प्यार नहीं करता हो क्या आप भी उससे प्यार करना छोड़ दोगे या फिर जबर्दस्ती अपना प्यार उस पर थोपोगे ।

सच्चा प्यार मे दोनों तरफ से प्यार हो या न हो प्यार कभी खत्म नहीं होता हे । यदि आप किसी से सच्चा प्यार करते हे तो आप उसे से दूर हो जाने पर भी उसे कभी भुला नहीं पाएंगे ओर यदि अपने कोई ओर रिश्ता कायम कर लिया हे तो आपका प्यार सच्चा नही था वो केवल एक आकर्षण था ।

यहा जो हवा तूमे जिंदा रहती हे यहा हे असली प्यार , माँ जो तुम्हें बिना स्वार्थ सिने से लगाए रखती हे न यह हे सच्चा प्यार एक पिता जो अपने बच्चो ओर परिवार के लिए सुबह से शाम तक मेहनत करता हे यह हे सच्चा प्यार । पेड़ जो तूमे फल देते हे यहा हे असली प्यार

इन्सानो मे तो अब प्यार धीरे धीरे कम होता जा रहा हे पिता बेटे के पास बेठता हे कुछ बात करने के लिए तो बेटा मोबाइल लेकर दूसरी तरफ मुह फेर लेता हे । पति पत्नी का प्यार एक बच्चा होती ही खत्म हो जाता  हे ।

ओर गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाला प्यार तो फिसिकल रेलेसीओन्शिप तक ही रेह गया हे । जो व्यक्ति अपने माता पिता से प्यार नहीं कर सकता वह किसी से भी सच्चा प्यार नही कर सकता हे

महात्मा गांधी जी ने खा था की यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार को समझना हे तो यह देखो की वह अपने से छोटे व्यक्ति हे साथ कैसा व्यवहार करता हे । आगे आप खुद समझदार  हे – pyar ka matlab kya hota hai

प्यार का सही मतलब क्या है

“प्यार एक एहसास हे जोकि दिमाग से नहीं दिल से जुड़ा हे। प्रेम भावनाओ और संवेदनाओ का एक जुड़ाव हे जो कि किसी व्यक्ति या वस्तु विशेष से हो सकता हे इसी लगाव का नाम प्रेम या प्यार हे। ”

जेसा की मेने पहले भी कहा हे की हर व्यक्ति विशेष के लिए प्यार की एक अलग परिभाषा होती हे ओर उसका एहसास भी अलग अलग होता हे। प्यार सिर्फ दो आत्माओ का मिलन होता हे इसमे कुछ लेने या देने की भावना नहीं होती हे । फिर चाहे आपको प्यार किसी व्यक्ति से हो या जानवर से या किसी वस्तु से हो

एसा देखा गया हे की प्यार को किसी शब्दो मे बयान नहीं किया जा सकता हे । प्यार का मतलब यह नहीं हे की आपको किसी का साथ चाहिए या नजदीकी चाहिए प्यार अनदेखा अंजाना भी हो सकता हे किसी किसी को बिना देखे भी प्यार हो जाता हे । सच्चा प्यार वही हे जिसमे कोई किसी के बिना एक पल भी रेह नही पाये

दिल टूट जाने पर प्यार मे धीरे धीरे कमी होने लगती हे ओर ज़िंदगी फिर से नॉर्मल होने लगती हे । तो प्यार सही मायने मे भावनाओ ओर संवेदनाओ का एक बेहता दरिया हे जो की थमता नहीं हे प्यार ज़िंदगी बनाता हे तो कई इन्सानो की गलत मनसा के रहते प्यार ज़िंदगी खराब भी कर देता हे । प्यार दो दिलो का एसा जुड़ाव हे जो मरेते दम तक निभाया जा सकता हे , प्यार के बिना ज़िंदगी वीरान सी लगने लगती हे । –

पहले प्यार का एहसास कैसा होता है

प्यार का एहसाह से सुंदर इस दुनिया मे ओर कोई एहसास नहीं हे लेकिन प्रेम का एहसास परिस्थिति ओर ओर हर व्यक्ति ओर वस्तु के अनुरूप बदलता रेहता हे । मानलों  की कोई व्यक्ति रेगिस्तान मे भटक रहा हे पानी की एक बूंद के लिए तो उस वक़्त पानी से जुड़ा उसका प्यार दुनिया मे सभी प्यार से बड़ा हो जाता हे

भूखे इंसान का एहसास रोटी के लिए  उस समये एक प्यार ही तो हे। बिना बारिश के धरती एक बूंद पानी के लिए तरसती हे , ओर उस एक बूंद पानी का इंतजार किसान अपने खेत मे खड़ा खड़ा कर रहा होता हे उस समये उस एक बूंद पानी के लिए किसान का प्यार सभी प्यार के एहसाह से कई ऊपर होता हे । –

वेज्ञानिकों का मानना हे की प्यार का एहसास होना एक रसायनिक प्रतिकीर्या हे जोकि दिमाग मे उत्पन्न होता हे । यह रसायन हार्मोन्स की तरह पूरे शरीर मे फेलता रेहता हे जब तक की आप किसी के प्यार मे होते हे तब तक आपको प्यार का एहसास होता रेहता हे । आप मे से किसी ने यह भी महसूस किया होगा की जब दिल टूटता हे या आपको प्यार मे धोका मिलता हे तब उस अवसाद मे आपका दुनिया मे सब कुछ बुरा लगने लगता हे । –

माँ अपने बच्चो से जितना प्यार करती हे शायद की कोई इतना प्यार इस दुनिया मे किसी से करता होगा यही भावना जवनरो मे होती हे एसा कहा जाता हे की हंस के जोड़े मे से यदि किसी की मोत हो जाती हे तो दूसरा हंस भी कुछ दीनों बाद मर जाता हे । एसा ही प्यार चकोर का चाँद से हे जब तक चाँद समान मे चमकता रेहता हे चकोर उसे निहारता रेहता हे –

फिर प्यार से जुड़े किस्से तो हम बचपन से सुनते आ रहे हे , जिसमे हीर-रांझा , लेला-मजनू , रोमियो-जूलियत , सोनी-महिवाल , ढोला-मारू ये सभी प्रेम की मिसाल बने जिनकी मिसाल आज भी उम लोग देते हे । तो दोस्तो प्यार किसी से भी किया जाये तो उसे निभाना जरूर चाहिए फिर देखिये आप के प्यार की भी दुनिया मिसाल देने लगेगी ।

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